किसी खेल का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – नमस्ते दोस्तों रोज की तरह आज फिर एक Essay in Hindi में आपका बेहद स्वागत है यह निबंध लेखन 600+ शब्दों में विस्तारित है जिसे आप निचे आनंदित होकर पढ़ सकते है।
किसी खेल का आँखों देखा वर्णन
- प्रस्तावना,
- खेल की तैयारियाँ,
- खेल का प्रारम्भ,
- खेल के विविध दृश्य,
- खेल का समापन,
- पुरस्कार वितरण,
- उपसंहार
किसी खेल का आँखों देखा वर्णन – प्रस्तावना
शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही दृष्टियों से खेलों का विशेष महत्त्व है। खेल मानव विकास की आधारशिला होते हैं। यही कारण है कि शिक्षा के साथ खेल आवश्यक रूप से जोड़े गये हैं। इनको सभी तरह बढ़ावा दिया जा रहा है।
आज वही बालक जीवन संग्राम में आगे कदम बढ़ा रहे हैं, जिनको खेल के प्रति विशेष लगाव होता है। क्रीड़ा स्थल इस प्रकार का उपवन होता है जहाँ सहयोग, स्पर्धा तथा बन्धुत्व के सुरभित पुष्प विकसित होते हैं।
खेल की तैयारियाँ
हमारा विद्यालय नगर के मध्य स्थित है। विद्यालय का खेल का मैदान बड़ा विशाल एवं अच्छा है। हमारे क्रीड़ा अध्यापक जी बड़े परिश्रमी एवं सक्रिय हैं। एक दिन राजकीय इण्टर कॉलेज की ओर से क्रिकेट मैच का प्रस्ताव आया जो हमारे अध्यापक जी ने स्वीकार कर लिया तथा कॉलेज के क्रिकेट दल (टीम) को बुलाकर बता दिया। यह मैच हमारे ही मैदान में होना था। यहाँ सभी तैयारियाँ थीं। खेल के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया।
खेल का प्रारम्भ
रविवार के दिन प्रातः 8 बजे ही खेल के मैदान पर दोनों विद्यालयों के दल विद्यमान थे। मैदान में पिच कि तैयार थी। निर्णायक महोदय बाहर के विद्यालयों से आमन्त्रित थे। दोनों दलों के कप्तान मैदान में पहुँचे, निर्णायकों ने टॉस रहे उछाला जो हमारे विद्यालय के कप्तान ने जीता। हमारे विद्यालय की टीम के कप्तान ने पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। खेल प्रारम्भ हो गया ।
खेल के विविध दृश्य
हमारे विद्यालय के प्रारम्भिक फेंकने का दायित्व राकेश को सौंपा। खेल की पहली गेंद पर ही सुनील ने चौका जमाया। इस तरह हमारी टीम की शुरुआत बड़ी अच्छी हुई। खेल जमने लगा और तीस रन बने थे कि सुशील बाहर हो गया। तीन खिलाड़ी और बाहर चले गये।
रमेश की गेंद पर सुनील को राकेश ने कैच करके बाहर कर दिया, उसके 80 रन बने थे। इसी प्रकार खेल चलता रहा। बीच-बीच में चौकों और छक्कों का आनन्द भी मिल रहा था। सभी प्रसन्न थे। हमारी टीम के 5 खिलाड़ी बाहर हुए और चालीस ओवरों में हमारे दल के 200 रन हो गये। बीच में भोजन के पश्चात् राजकीय इण्टर कॉलेज का दल खेलने आया।
उनकी भी शुरुआत बहुत अच्छी हुई। पहले दस ओवरों में उन्होंने 45 रन बना लिए, जिसमें चार चौके तथा दो छक्के भी लगाये। हमारी टीम के तेज गेंदबाज कुछ कर पाने में असमर्थ रहे। फिर हमारे स्पिनरों ने दायित्व सँभाला और एक के बाद एक उन्होंने विरोधी दल के चार खिलाड़ी 25 ओवर होने तक बाहर कर दिए।
अब तक उनके रन मात्र 93 ही बन पाये थे। उनके पाँचवें तथा छठे खिलाड़ी कुछ जमे, परन्तु जैसे ही गेंद बायें हाथ के गेंदबाज धीरज ने सँभाली वे दोनों ही उखड़ गये। उनके जाते ही विरोधी दल ऐसा निराश हुआ कि 35 ओवरों में ही उनकी समस्त टीम सिमट गयी, जबकि उनके रन 168 मात्र ही थे। इस प्रकार हमारा दल विजयी रहा।
खेल की समाप्ति
इस प्रकार 5 ओवर शेष रहते हुए भी राजकीय इण्टर कॉलेज का दल अपने खिलाड़ी गँवाकर हार गया और निर्णायकों ने विकेट उखाड़ दिये। इस तरह खेल समाप्त हो गया। दोनों दल मण्डप में लौट रहे थे। दर्शक तालियों से विजयी दल का स्वागत कर रहे थे।
पुरस्कार वितरण
सभी खिलाड़ी स्टेडियम में आ गये थे। दर्शक उत्सुकता से पुरस्कार पाने वालों के विषय में जानने को बेचैन थे। शील्ड, कप आदि सजे रखे थे। उद्घोषक ने घोषणा की कि अब हमारे मुख्य अतिथि जिला विद्यालय निरीक्षक महोदय विजेताओं को पुरस्कार देंगे। इसके बाद श्रेष्ठ गेंदबाज का पुरस्कार धीरज को, श्रेष्ठ बल्लेबाज का पुरस्कार सुनील को तथा श्रेष्ठ क्षेत्ररक्षण का पुरस्कार राकेश को मिला। शील्ड हमारे विद्यालय को प्रदान की गयी।
उपसंहार
पुरस्कार वितरण के निर्णयों की सभी प्रशंसा कर रहे थे। हमारे प्रधानाचार्य जी ने खिलाड़ियों को बधाई दी। हम सभी आनन्दित होकर खेल की चर्चा करते हुए घर लौट आये। इस मैच को स्मरण करने मात्र से ही मन मयूर नृत्य करने लगता है।
हृदय-वीणा झंकृत होकर आनन्द का तराना छेड़ती है। स्फूर्ति तथा शान्ति का नया संचार होता है। यथार्थ में जीवन को खिलाड़ी की भावना से जीना ही उत्तम तथा श्रेयस्कर है।
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This post was last modified on June 28, 2022 4:56 PM